पहला हस्ताक्षर...

कुछ-कुछ पहले जैसा...

शनिवार, 18 अगस्त 2012

कुछ...





इनायत को तरसतीं कुछ तस्वीरें. जज़्ब होने को बेकरार कुछ अल्फ़ाज़.  रात के तीसरे पहर बरस रहा है कुछ...रात की चुप्पी के साथ।
चुप रहो तुम...ये कुछ क्या होता है? हुंह!


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इंतजार की सुबहें मुसलसल* चलती रहती हैं
और सारी दुपहरी अकेला बैठा वो
खाली पड़ी इनबॉक्स छानता रहता है
इंतजार...
खालीपन...
उदासी...
कि शामें नहीं बुझतीं,
और बिस्तर पर औंधी पड़ी रात पूछती है
तुम्हें किसका इंतजार है...

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जब अकेले हों आप और सूनसान हो आकाश
रात हो काली और
उसकी याद...गिरेबान थामे खड़ी हो।
आसान नहीं होता तब
माज़ी* को एकतरफा इल्ज़ामों की पुरानी शराब में
डुबो देना.
तुम्हारी याद से अपना गिरेबान छुड़ा लेना

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तुम्हारे लिखे आखिरी खत की राह देखते
काट दी उसने उम्र सारी
उसके हिस्से इंतज़ार की चुप्पी आई
और तुम्हारे हिस्से दुनिया सारी
..छोड़ो भी,
इन बेतुकी तुकबंदियों की राह देखने में रखा क्या है

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किसने कहा था ये कानों में आकर
कि नहीं हो सकता
इश्क का उद्यापन
देखो ना तुम्हारे दरवाजे पर उगता सूरज
चटख पीले फूल पर चमकती ओस
और हरी-हरी वादियां..
अब नहीं दिलातीं तुम्हे मेरी याद

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सुबह से लेकर शाम तक
लगाता रहता है वो
पुराने मंदिर के चक्कर
कभी घंटो बैठा रहता है
सूरजमुखी के खेत में...
इतनी देर से,
जाने क्या टटोल रहा हूं मैं
जाने क्या खो गया है

--

मोहब्बतों के शहर पुराने हो जाते हैं
इमारतें जर्जर
मकान सूनसान
और चेहरे बेनूर
फिर भी चमक नहीं जाती
यादों के कैनवस पर काले-सफेद रंग में चिपके,
तुम्हारे चेहरे की...
शोर है कि ये इश्क की चुप्पी नहीं, इबादत की खामोशी है।

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*1- continuous, ceaseless
*2- past life

Image courtesy- An artwork by Leonid Afremov, a Belarusian painter.

3 टिप्‍पणियां:

jyotirmay ने कहा…

तुम्हारी कविता , वाह क्या लिखते हो :
..खली पड़ी इन्बोक्स ... कितना समसामयिक लिखा है,आजकल खतों का इंतज़ार तो होता नहीं,मेल ही आते हैं ..
और फिर -
'..माजी को एकतरफा इल्जामो की पुरानी शराब में डुबो देना ...
और -
इश्क का उद्यापन ...
और अंत में -
...ये इश्क की चुप्पी नहीं,इबादत की ख़ामोशी है '

ये 'कुछ..' नहीं बल्कि 'बहुत कुछ..' कह गए हो . अति सुंदर |

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

क्या आयेगा, तृप्त करेगा,
मन का बहता रिक्त भरेगा।

kanu..... ने कहा…

kisne kaha ishq ka udyapan nahi hota...brillient

परछाईयां

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